गरीबों की बात तो हर सरकार करती है लेकिन वास्तव में गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है ऊपर से अमेठी पुलिस अपने मनमानेपन पर उतारू है ऐसे...
गरीबों की बात तो हर सरकार करती है लेकिन वास्तव में गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं है ऊपर से अमेठी पुलिस अपने मनमानेपन पर उतारू है ऐसे में गरीब और असहाय जाए तो कहां जाए ताजा मामला अमेठी कोतवाली से चंद कदम दूर हनुमानगढ़ी मंदिर के पास चाय की दुकान रखकर चाय बेचकर किसी तरह परिवार का भरण पोषण करने वाले जगदीश चौरसिया को उनके ही सगे भाई कामता चौरसिया और उनके पुत्रों के द्वारा लाठी-डंडों से उस समय जमकर पिटाई कर दी गई जब उनका पूरा परिवार पूजा करने जा रहा था और निहत्था था। जिसमें जगदीश चौरसिया की पत्नी और उनकी मां को गंभीर चोटें आई जब वह लोक घायलों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमेठी ले गए तब वहां पर डाक्टरों ने पुलिस से लिखवा कर लाने की बात कही डॉक्टरों ने भी तत्काल घायलों की ड्रेसिंग पट्टी नहीं किया और जब कोतवाली पहुंचे जगदीश चौरसिया तो वहां पर उनको बैठा लिया गया उनके पीछे पीछे उनका पुत्र जब कोतवाली पहुंचा तब उसको भी पुलिस ने बैठा लिया और 151 में चालान करने की बात कही काफी देर के बाद एक महिला पुलिसकर्मी जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमेठी पहुंची तब जाकर घायलों की ड्रेसिंग पट्टी इत्यादि का कार्य किया गया सबसे बड़ी बात तो यह है कि पीड़ित को ही कोतवाली में बैठाया गया और उनको 151 में चालान करने को कहा गया जबकि मारपीट करने वाले की खोज खबर भी लेना पुलिस वालों ने उचित नहीं समझा इस तरह से अमेठी पुलिस मनमाना काम करते हुए एक पक्षीय कार्रवाई कर रही है इस समय अमेठी पुलिस ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी मनमानी पर उतारू है ऐसे में पीड़ितों को कैसे न्याय मिलेगा यह बड़ा सवाल है पीड़िता के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
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